उत्तर – मशीनीकरण के कारण हस्तशिल्प पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। मशीनों के आ जाने से कई लोगों की आमदनी साधन न रहा। लोग बेरोज़गार हो गए हैं। बढ़ गई है। पैतृक व्यवसाय बंद हो गया है। ऊपर लिखी गई पंक्ति बदलू की दशा की ओर संकेत करती है। लाख की चूड़ियों का व्यवसाय बंद हो गया। इसका उसके जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ा है। उसकी आर्थिक स्थिति और स्वास्थ बिगड़ गया।, प्र॰4 बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी।, उत्तर – मशीनीकरण के आने तथा काँच की चूड़ियों के प्रचलन एवं गाँव में औरतों के काँच की चूड़ियों के पहनने के कारण बदलू का व्यवसाय बिल्कुल बंद हो गया था। उसकी आर्थिक स्थिति भी ख़राब हो गई थी। अपना पैतृक काम खो देने की व्यथा लेखक से छिपी नसकी।. Class 8 Hindi Lessons. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary. Lakh Ki Chudiyan (लाख की चूड़ियाँ) Summary, Explanation, Question and Answers and Difficult word meaning. NCERT solutions for Class 8 Hindi Lakh Ki Chudiyan Class 8 Hindi book solutions are available in PDF format for free download. lakh ki chudiyan in hindi. Complete Summary - लाख की चूड़ियां Class 8 Video | EduRev chapter (including extra questions, long questions, short questions) can be found
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Lakh Ki Chudiyan लाख की चूड़ियाँ Summary, Explanation, Question and Answersलाख की चूड़ियाँ प्रश्न उत्तर लाख की चूड़ियाँ लाख की चूड़ियाँ class 8 … } books of Class 8. Understand the concept of the barter system by revising with TopperLearning’s NCERT solutions for Class 8 th Hindi. NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 2 लाख की चूड़ियाँ Solved by Hindi Padit Dr. Prasanna as per NCERT (CBSE) Book guidelines. उत्तर- बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से इसलिय जाता था क्योंकि वहाँ बदलू उसे लाख की गोलियाँ बनाकर देता था। जो उसे पसंद थी। लेखक उसे “बदलू मामा” न कहकर “बदलू काका” इसलिए कहता था क्योंकि गाँव के सभी बच्चें उसे “बदलू काका”कहते थे।. of this page. लेकिन काँच बड़ा खतरनाक होता है। बड़ी जल्दी टूट जाता है। मैंने कहा।, बदलू मामा ने कहा कि अजकल सब कुछ मशीन से ही होता है – खेत भी मशीन से जोते जाते हैं और फिर जो सुन्दरता काँच की चूड़ियों में होती है, लाख में कहाँ मुमकिन है । मशीनी युग आ गया है, सारे काम मशीनों से होते हैं, हाथ से बनाई हुई चीज़ों को लोग पसंद नहीं करते हैं।, लेखक ने कहा कि काँच बहुत नुकसान देने वाला होता है जैसा कि लेखक की मामा की छोटी बेटी की काँच की चूड़ियाँ टूट कर हाथ में चुभ गई थी, ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है। काँच थोड़ा सा खतरनाक पर्दाथ है जिससे चोट लग सकती है।, नाजुक तो फिर होता ही है लला! विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है? Contextual translation of "lakh ki chudiya summary in english" into English. Chapter 1 Dhwani Class 8 Summary, Explanation, Question Answers; Chapter 2 Lakh Ki Chudiyan Class 8 Summary, Explanation, Question Answers, Difficult Words; Chapter 3 Bus Ki Yatra Class 8 Summary, Explanation, Question Answers Handmade lac bracelets are also purchased that spread their shine and fame all over the world. प्र॰1 बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था? This video is highly rated by Class 8 students and has been viewed 39045 times. Size Chart. गाय कहाँ है, लला! Chirpy Kart online (chirpykart.com) - Exporters, suppliers of online Exclusive Lakh Bangles india, indian Lakh Bangles, Designer Lakh Bangles, wholesale Exclusive Lakh Bangles suppliers, Lakh Bangles, Exclusive Lakh Bangles, Designer Lakh Bangles lakh ki chudiyan refers to bangles made of Lac which is obtained from insects. These ncert book chapter wise questions and answers are very helpful for CBSE exam. By continuing, I agree that I am at least 13 years old and have read and agree to the. NCERT Class 8 Hindi Vasant Chapter 2 Lakh ki chudiyan. उत्तर – वस्तु विनियम एक पुरानी व्यापार पध्दति है। जिसमें वस्तु के बदले वस्तु दी जाती है। पुराने समय में के वस्तु बदले पैसे का लेनदेन नहीं होता था। आधुनिक व्यापार पध्दति में वस्तु के बदले धन का लेनदेन होता है।. Vasant Class 8 Solutions will cover all the important questions from the … Lac is the scarlet resinous secretion of a number of species of insects, namely some of the species of the genera Metatachardia, Laccifer. CBSE recommends NCERT books and most of the questions in CBSE exam are asked from NCERT text books. Lakh ki Chudiyan; Lakh Kade; Designer Bangles; Brass Bangles; Seep Bangles; About Us; Contact Us; Special; Lakh Kade ; Lakh Kade . Known as Lakh ki Chudiyan, lac bangles are a specialty of Jaipur. You can download Free Summary - लाख की चूड़ियां Class 8 Video | EduRev pdf from
NCERT Solution for Hindi Vasant Class 8 are provided to students so that they can get the help that they need. if(k.className == "adPushupAds" && k.getAttribute("data-push") != "1") { Jan 04, 2021 - Summary - लाख की चूड़ियां Class 8 Video | EduRev is made by best teachers of Class 8. You can see some Summary - लाख की चूड़ियां Class 8 Video | EduRev sample questions with examples at the bottom
Rs 235.00. To Study Summary - लाख की चूड़ियां Class 8 Video | EduRev for Class 8 this is your one stop solution. English. इतने में रज्जो, उसकी बेटी, अंदर से एक डलिया में ढेर से आम ले आई। यह तो बहुत हैं काका! All the exercises and Question and Answers given at the back of the lesson, लेखक कामतानाथ का जन्म 22 सितम्बर 1934 को लखनऊ मैं हुआ था इनकी मृत्यु 7 दिसंबर 2012 में लखनऊ में हुई थी।. लेखक गाय के बारें में जानना चाहता था । बदलू ने कहा कि उसने उसे दो साल पहले ही बेच दिया था । बदलू मां ने गाय बेच दी क्यूंकि वे उसे पाल नहीं सकते थे।, इतने में उसकी बेटी रज्जों अन्दर से एक डलिया में बहुत से आम ले आई। लेखक ने कहा की वे इतने सारे आम नहीं खा पाएंगे। यह सुन बदलू काका हँस पड़े और की वे कहा शहरी ठहरे न! वाह-वाह, बिना आम खिलाए कैसे जाने दूँगा तुमको? how i get? मैं चुप हो गया। मुझे वे दिन याद हो आए जब वह मेरे लिए मलाई बचाकर रखता था।, उन्होंने क्षमा माँगी कि वे लेखक को आम खिलाना भूल गए ।लेखक ने औपचारिकता निभाई और कहा कि उस साल उनहोंने बहुत आम खाए थे।, लेखक चुप रहे और उन्हें वो दिन याद हो आए जब काका उनके लिए मलाई बचाकर रखते थे ।. लाख की चूड़ियाँ पहनें तो मोच न आ जाए।’’, जब लेखक बदलू मामा को बताते हैं कि शहर में किस तरह का रहन-सहन है तो वह यह भी बात कहते हैं कि शहरी औरतें अपने पतियों का हाथ पकड़कर खुलम-खुला सड़कों पर घूमती हैं क्योंकि वे आज़ाद हैं और उनके रहने का अंदाज अलग है। गाँव की औरतें ऐसा नहीं करती। उनकी कलाईयाँ नाजुक नहीं होती है। लेखक का मानना है कि शहरी स्त्रियां नाजुक हैं क्योंकि जरा सा भी बोझ नहीं उठाती हैं । वे काम-काज नहीं करती हैं इसलिए उनकी कलाईयाँ बहुत ही नाजुक हैं । लेखक के मामा का मानना था कि अगर वह लाख की चूड़ियाँ पहनती हैं तो कहीं उनके हाथों में मोच न आ जाए क्योंकि लाख की चूड़ियाँ काँच की चूड़ियाँ से थोड़ी भारी होती हैं ।, कभी-कभी बदलू मेरी अच्छी खासी खातिर भी करता। जिन दिनों उसकी गाय के दूध होता वह सदा मेरे लिए मलाई बचाकर रखता और आम की फसल में तो मैं रोज ही उसके यहाँ से दो-चार आम खा आता।, कभी-कभी बदलू लेखक की अच्छी खासी खातिर करता। जब लेखक बदलू मामा के यहाँ पहुचते, तो बदलू मामा उनकी मेहमान नवाजी भी करते । उनका हाल चाल पूछते, उनकी अच्छी सेवा करते। जब बदलू मामा की गाय दूध देती तो वह उनके लिए मलाई बचाकर रखते थे क्योंकि लेखक को मलाई खाना बहुत अच्छा लगता था। और जब आम की फसल होती तो लेखक रोज ही उसके यहाँ से दो-चार आम खा आता था।, परंतु इन सब बातों के अतिरिक्त जिस कारण वह मुझे अच्छा लगता वह यह था कि लगभग रोज ही वह मेरे लिए एक-दो गोलियाँ बना देता।, परंतु इन सब बातों के अलावा कुछ कारण थे जिस कारण से वह लेखक को अच्छा लगता था। बदलू मामा उसे किन कारणों से पसंद था यह लेखक बता रहे हैं।लगभग रोज लेखक के लिए एक-दो गोलियाँ बना देता और वह खेलने के लिए लेखक को दे देता थे। यह एक मुख्य कारण था कि उन्हें बदलू मामा अच्छे लगते थे।, मैं बहुधा हर गर्मी की छुट्टी में अपने मामा के यहाँ चला जाता और एक-आध महीने वहाँ रहकर स्कूल खुलने के समय तक वापस आ जाता।, जैसा कि हर स्कूल में गर्मीयों की छूट्टीयाँ होती हैं, सभी बच्चे अपने मामा के घर जाते हैं तो लेखक भी अपने मामा के यहाँ चला जाता था। पूरा ढ़ेड महीना अपने मामा के घर में बिताता था और वहाँ पर ज्यादातर समय बदलू मामा के साथ बिताता क्योंकि वह उसे खेलने के लिए लाख की गोलियाँ देते थे।, परंतु दो-तीन बार ही मैं अपने मामा के यहाँ गया होऊँगा तभी मेरे पिता की एक दूर के शहर में बदली हो गई और एक लंबी अवधि तक मैं अपने मामा के गाँव न जा सका। तब लगभग आठ-दस वर्षों के बाद जब मैं वहाँ गया तो इतना बड़ा हो चुका था कि लाख की गोलियों में मेरी रुचि नहीं रह गई थी।, ऐसा दो-तीन बार ही हुआ की गर्मियों की छूट्टीयों में जब लेखक अपने मामा के घर गए होते, तभी उनके पिता की बदली हो जाती अर्थात् उन्हें दूसरी जगह जाना पड़ता जिस कारण पूरा परिवार भी वहाँ चला जाता । फिर एक लंबे समय तक वे अपने मामा के गाँव न जा सके। यह उनकी मजबुरी थी क्यूँकि वे गाँव से दूर जा चुके थे । लगभग आठ-दस वर्षों के बाद, जब लेखक वहाँ गए तो वे इतने बड़े हो चुके थे कि लाख की गोलियों में उनकी रूचि नहीं रही गई थी।, अतः गाँव में होते हुए भी कई दिनों तक मुझे बदलू का ध्यान न आया। इस बीच मैंने देखा कि गाँव में लगभग सभी स्त्रियाँ काँच की चूड़ियाँ पहने हैं। विरले ही हाथों में मैंने लाख की चूड़ियाँ देखीं। तब एक दिन सहसा मुझे बदलू का ध्यान हो आया।, जब लेखक बहुत सालों के बाद अपने मामा के गाँव लौटे, उन्हें बदलू मामा की याद नहीं आई। क्योंकि अब वह बड़े हो चुके थे उनके शौक अब बदल चुके थे। इस बीच उन्होंने देखा कि गाँव में लगभग सभी औरतें काँच की चूड़ियाँ पहने हुए हैं। अर्थात् लेखक ने जब देखा कि पहले जो स्त्रियाँ लाख की चूड़ियाँ पहनना पंसद करती थी अब उनके शौक बदल चुके हैं। वे भी अब काँच की चूड़ियाँ पहनने लगी हैं। बहुत ही कम हाथों में उसने लाख की चूड़ियाँ देखीं जोकि एक परिर्वतन का ऐहसास था। तब एक दिन अचानक उन्हें बदलू का ध्यान हो आया, जब उन्होंने औरतों को रंग-बिरंगी काँच की चूड़ियाँ पहने देखा और कोई-कोई स्त्री लाख की चूड़ियाँ पहने थी । उनसे उनका मिलने का दिल चाहा।, बात यह हुई कि बरसात में मेरे मामा की छोटी लड़की आँगन में फिसलकर गिर पड़ी और उसके हाथ की काँच की चूड़ी टूटकर उसकी कलाई में घुस गई और उससे खून बहने लगा। मेरे मामा उस समय घर पर न थे। मुझे ही उसकी मरहम-पट्टी करनी पड़ी।, मरहम-पट्टी – घाव पर दवा लगाकर पट्टी बाँधना, एक दिन बरसात का मौसम था और लेखक के मामा की जो छोटी लड़की थी, वो आँगन में फिसलकर गिर गई थी और उसकी हाथ की काँच की चूड़ी टूटकर उसके हाथ में घुस गई । लेखक को लगा कि काँच की चूड़ियाँ कितनी हानिकारक हो सकती हैं ।लोगों को चोट पहुंचा सकती है । जैसा कि उनके मामा की छोटी लड़की के साथ हुआ। गिरने के वजह से काँच की चूड़ियाँ कलाई में घुस गई और मामा की लड़की घायल हो गई ।, लेखक जैसा कि घर पर ही थे, और उनके मामा वहाँ पर मौजूद नहीं थे, उन्हें अपनी छोटी बहन की मरहम-पट्टी, दवा वगैरा करवानी पड़ी।, तभी सहसा मुझे बदलू का ध्यान हो आया और मैंने सोचा कि उससे मिल आऊँ। अतः शाम को मैं घूमते-घूमते उसके घर चला गया। बदलू वहीं चबूतरे पर नीम के नीचे एक खाट पर लेटा था।, तभी अचानक लेखक को बदलू का ध्यान हो आया । लेखक ने सोचा कि उससे मिल आऊँ । उसे बदलू मामा की याद हो आई जैसा कि वे लाख की चूड़ियाँ बनाते थे और चूड़ियों का ही किस्सा वहाँ पर हो रहा था कि किस तरह काँच की चूडी़ छोटी बहन के हाथ में चुब गई है इस कारण उन्हें बदलू मामा का ख्याल हो आया और वह उनसे मिलने चले। शाम होते ही लेखक टहलते हुए बदलू के घर पहुँचे। बदलू वहीं चबूतरे अर्थात् थोड़ी ऊँची सतह पर नीम के नीचे एक खाट यानी चारपाई पर लेटा था।, अब बदलू के पास कोई काम नहीं था इसलिए वह आराम फरमा रहा था और चबूतरे पर नीम के पेड़ के नीच एक चारपाई पर लेटा हुआ था और वह अपने ख्यालों में खोया हुआ था।, नमस्ते भइया! Class 8 Hindi Vasant Chapter 3 बस की यात्रा All Exercise Questions with Solutions to help you to revise complete Syllabus and Score More marks. प्र॰5 मशीनी युग से बदलू के जीवन में क्या बदलाव आया? अर्थग्रहण संबंधी बहुविकल्पीय प्रश्न - 1 - लाख की चूड़ियाँ, हिंदी, कक्षा - 8, अर्थग्रहण संबंधी बहुविकल्पीय प्रश्न - 2 - लाख की चूड़ियाँ, हिंदी, कक्षा - 8, अर्थग्रहण संबंधी बहुविकल्पीय प्रश्न - 3 - लाख की चूड़ियाँ, हिंदी, कक्षा - 8, अर्थग्रहण संबंधी बहुविकल्पीय प्रश्न - 4 - लाख की चूड़ियाँ, हिंदी, कक्षा - 8, अर्थग्रहण संबंधी बहुविकल्पीय प्रश्न - 5 - लाख की चूड़ियाँ, हिंदी, कक्षा - 8, कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes, RD Sharma Solutions for Class 8 Mathematics. Chapter 2 - Lankh ki Chudiyan. Chapter 10 The Great Stone Face-II, Class 8 CBSE English Lesson Summary, Explanation . })(window, document); Your email address will not be published. NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 3 बस की यात्रा Solved by Hindi Padit Dr. Prasanna as per NCERT (CBSE) Book guidelines. वहाँ तो सभी कुछ होता है।, बदलू मामा लेखक से घंटों बातें किया करते थे – अपना सुख-दुख बाँटते थे । कभी उनकी पढ़ाई और घर के बारे में पूछते थे, कभी यूँ ही शहरी जीवन के बारे में जानना चाहते थे। लेखक उससे कहता कि शहर में सब काँच की चूड़ियाँ पहनते हैं। जब भी वे पूछते कि शहर में कैसे कैसे लोग हैं और क्या चीज़े पसंद करते हैं, उनका रहन-सहन क्या है तो वे उन्हें बताते कि शहर में भी लोग काँच की चूड़ियाँ पहनना पसंद करते है। तो वह उत्तर देता कि शहर की बात और है। ये तो गाँव है। गाँव की चीज़ों में कुछ खसियत होती है और जो हाथ के द्वारा बनाई गई चीज़े हैं उनका महत्व तो ज़्यादा है। मशीनें उसका मुकाबला नहीं कर सकती। ऐसा बदलू मामा का मानना था।, वहाँ तो औरतें अपने मरद का हाथ पकड़कर सड़कों पर घूमती भी हैं और फिर उनकी कलाइयाँ नाजुक होती हैं न! Students of Class 8 of the CBSE board follow the Hindi Book Vasant for their schoolwork. दो साल हुए बेच दी। कहाँ से खिलाता? इसी साल यह पेड़ तैयार हुआ है।, बदलू काका ने अपनी बात कही कि जब वे लेखक की उम्र के थे, तब वे चार-गुना ज्यादा आम खा जाया करते थे । लेखक ने कहा कि उनकी बात और है, वे गाँव विहार के रहने वाले थे ।, बदलू काका ने अपनी बेटी से कहा की वह छाँट कर चार पांच बढ़िया सिंधूरी आम लेखक को दे । सिंदूरी आम एक किस्म की होती है जोकि बहुत अच्छी और मीठी होती है। बदलू ने कहा कि आम उसी मौसम में तैयार हुए थे और बहुत बढ़िया थे।, रज्जो ने चार-पाँच आम अंजुली में लेकर मेरी ओर बढ़ा दिए। आम लेने के लिए मैंने हाथ बढ़ाया तो मेरी निगाह एक क्षण के लिए उसके हाथों पर ठिठक गई। गोरी – गोरी कलाइयों पर लाख की चूड़ियाँ बहुत ही फब रही थीं।, रज्जो ने चार-पाँच आम अपनी हथेली में लेकर लेखक की ओर बढ़ा दिए।लेखक ने हाथ बढ़ाया तो उसकी निगाहें एक पल के लिए उसके हाथों पर रूक सी गई। उसके हाथों की कलाइयों पर लाख की चूड़ियाँ बहुत सुन्दर लग रही थी। अभी भी बदलू काका की बेटी ने वहीं लाख की चूड़ियाँ पहने हुए थी जो उसके पिता के द्वारा बनाई गई थी। उसके हाथों में बहुत सज़ रही थी।, बदलू ने मेरी दृष्टि देख ली और बोल पड़ा, यही आखिरी जोड़ा बनाया था जमींदार साहब की बेटी के विवाह पर। दस आने पैसे मुझको दे रहे थे। मैंने जोड़ा नहीं दिया। कहा, शहर से ले आओ। मैंने आम ले लिए और खाकर थोड़ी देर पश्चात चला आया। मुझे प्रसन्नता हुई कि बदलू ने हारकर भी हार नहीं मानी थी। उसका व्यक्तित्व काँच की चूड़ियों जैसा न था कि आसानी से टूट जाए।, बदलू ने लेखक की नज़र देख ली । वो लेखक के मन की बात को समझ या भाप गए थे । बदलू काका ने यह देखकर जवाब दिया कि यह आखिरी जोड़ा है। गाँव के जमींदार साहब की बेटी के विवाह पर बनाया था। उसके बदले में वे उसे दस आने दे रहे थे । उसने लाख की चूड़ियों का जोड़ा देने से इन्कार कर दिया, कहा कि आप शहर से ले आओ। क्योंकि यह कीमत बहुत कम थी।, जैसा कि मशीनी युग की वजह से काम धन्धा बन्द हो गया था लेकिन वह हारे नहीं थे। वह पीछे नहीं हटे थे । उसका व्यवहार काँच की चूड़ियों जैसा न था अर्थात् काँच की चूड़ियों की तरह नजुक नहीं था कि आसानी से टूट जाए। वह बहुत ही कठोर परिश्रमी स्वभाव के थे और अपने काम में विश्वास रखते थे।. EduRev is like a wikipedia just for education and the Summary - लाख की चूड़ियां Class 8 Video | EduRev images and diagram are even better than Byjus! EduRev is a knowledge-sharing community that depends on everyone being able to pitch in when they know something. English Translation of “लाख” | The official Collins Hindi-English Dictionary online. It has gotten 39059 views and also has 4.8 rating. They can be found beautifully studded by glass pieces, colorful beads or even precious stones. प्र॰3 ‘मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं।’-इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया है? Get here NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 2.These NCERT Solutions for Class 8 of Hindi subject includes detailed answers of all the questions in Chapter 2 – लाख की चूड़ियाँ provided in NCERT Book which is prescribed for class 8 in schools. ... English. मैंने चारपाई पर बैठते हुए उत्तर दिया। कुछ देर फिर शांति रही। मैंने इधर-इधर दृष्टि दौड़ाई। न तो मुझे उसकी मचिया ही नजर आई, न ही भट्टी ।, जैसा कि लेखक के पिता की बदली हो चुकी थी और वह दूर किसी और शहर में रहते थे, इसलिए गाँव आना संभव नहीं था। ऐसा लेखक ने उन्हें बताया। फिर कुछ देर शांति रही। दोनों में कुछ बातचीत नहीं हुई दोनों चुपचाप बैठे रहे। लेखक ने इधर-उधर देखा तो न ही उसकी चारपाई नजर आई और न ही उसकी भट्टी अर्थात् चूल्हा जिसमें वह लाख को पिघलाया करते और उसकी मचिया जिस पर लेखक बैठा करते थे। उस मचिये पर बैठ कर बदलू मामा सारा दिन अपना काम करते, साथ में हुक्का पिया करते थे । यह सब सामान आस-पास कहीं नज़र नहीं आया क्योंकि अब समय में बदलाव आ चुका था और बदलू मामा का जो काम-धंधा था, हाथ से लाख की चूडियाँ बनाने का, वो अब बंद हो चुका था।, नहीं लला, काम तो कई साल से बंद है। मेरी बनाई हुई चूड़ियाँ कोई पूछे तब तो। गाँव-गाँव में काँच का प्रचार हो गया है।, लेखक ने उससे पूछा कि क्या बात है आजकल आप काम नहीं करते हैं तो उन्होंने उत्तर दिया – नहीं लला, काम तो कई सालों से बंद है ।जब बदलू मामा ने बताया कि बहुत साल हो गए काम अब बंद हो गया है हाथ से चूड़ियाँ बनाना बंद हो गया है क्योंकि लोगों ने उसे पसंद करना बंद कर दिया है। अब स्त्रियाँ लाख की चूड़ियाँ पहनना पसंद नहीं करती। अब तो हर कोई काँच की ही चूड़ियाँ पहनना पसंद करता है – हर गाँव, शहर में, क्योंकि मशीनी युग की वजह से काँच की चूडियाँ बनना शुरू हो गया है । वह बहुत सुन्दर, रंग-बिरंगी, चमकीली नज़र आती हैं और औरतें उन्हें पहनना पसंद करती है।. उत्तर – मशीनी युग के कारण बदलू का सुखी जीवन दुख में बदल गया था। गाँव की सारी औरतें काँच की चूड़ियाँ पहनने लगी थी। बदलू की कला को अब कोई नहीं पूछता था। उसकी चूड़ियों की माँग अब नहीं रही थी। इसी कारण शादी-ब्याह से मिलने वाला अनाज, कपड़े तथा अन्य उपहार उसे नहीं मिलते थे। उसकी आर्थिक हालत बिगड़ गई जिससे उसके स्वास्थ पर भी बुरा असर पड़ा था।. Over 100,000 English translations of Hindi words and phrases. (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); कामतानाथ की कहानी “लाख की चूड़ियाँ” शहरीकरण और औद्योगिक विकास से गाँव के उद्योग के ख़त्म होने के दुख को चित्रित करती है। यह कहानी रिश्ते-नाते के प्यार में रचे-बसे गाँव के सहज सम्बन्धो में बिखराव और सांस्कृतिक नुकसान के आर्थिक कारणों को स्पष्ट करती है।, यह कहानी एक बच्चे और बदलू मामा की है। जो उसे लाख की गोलियाँ बनाकर देता है और वह बच्चा इस बात से बहुत खुश होता है। धीरे-धीरे समय बीतता है और वह बच्चा बड़ा होने के बाद एक बार फिर गॉंव आता है और बदलू से मिलकर औपचारिक बात करते हुए उसे मालुम होता है की गांव में “लाख की चूड़ियाँ” बनाने का कामकाज लगभग ख़त्म हो रहा है।, बदलू इस बदलाव से दुखी है किन्तु वो अपने उसूल नहीं त्यागता तथा साथ ही अपना जीवन चलाने के लिए कई और रास्ते निकाल लेता है। इस कहानी में लेखक विपरीत परिस्थितियों में भी अपने उसूल को न त्यागने की सीख देता है तथा उन्हें इस बात पर संतोष भी है।, इस पाठ के द्वारा लेखक लघु उद्योग की ओर पाठको का ध्यान करवा रहे है। वे कहते हैं कि बदलते समय का प्रभाव हर वस्तु पर पड़ता है। बदलू व्यवसाय से मनिहार है। वह अत्यंत आकर्षक चूड़ियाँ बनाता है। गाँव की स्त्रियाँ उसी की बनाई चूड़ियाँ पहनती हैं। बदलू को काँच की चूड़ियों से बहुत चिढ़ है। वह काँच की चूड़ियों की बड़ाई भी नहीं सुन सकता तथा कभी-कभी तो दो बातें सुनाने से भी नहीं चूकता ।, शहर और गाँव की औरतों की तुलना करते हुए वह कहता है कि शहर की औरतों की कलाई बहुत नाजुक होती है। इसलिए वह लाख की चूड़ियाँ नहीं पहनती है। लेखक अकसर गाँव जाता है तो बदलू काका से जरूर मिलता है क्योकि वह उसे लाख की गोलियां बनाकर देता है। परन्तु अपने पिता जी की बदली हो जाने की वजह से इस बार वह काफी दिनों बाद गाँव आता है।, वह वहां औरतों को काँच की चूड़ियाँ पहने देखता है तो उसे लाख की चूड़ियों की याद हो आती है वह बदलू से मिलने उसके घर जाता है।बातचीत के दौरान बदलू उसे बताता है कि लाख की चूड़ियों का व्यवसाय मशीनी युग आने के कारण बंद हो गया है और काँच की चूड़ियों का प्रचलन बढ़ गया है।, इस पाठ के द्वारा लेखक ने बदलू के स्वभाव, उसके सीधेपन और विनम्रता को दर्शाया है। मशीनी युग से आये परिवर्तन से लघु उद्योग की हानि परप्रकाश डाला है। अंत में लेखक यह भी मानता है कि काँच की चूड़ियों के आने से व्यवसाय में बहुत हानि हुई हो किन्तु बदलू का व्यक्तित्व काँच की चूड़ियों की तरह नाजुक नहीं था जो सरलता से टूट जाए।, सारे गाँव में बदलू मुझे सबसे अच्छा आदमी लगता था क्योंकि वह मुझे सुंदर-सुंदर लाख की गोलियाँ बनाकर देता था। मुझे अपने मामा के गाँव जाने का सबसे बड़ा चाव यही था कि जब मैं वहाँ से लौटता था तो मेरे पास ढेर सारी गोलियाँ होतीं, रंग-बिरंगी गोलियाँ जो किसी भी बच्चे का मन मोह लें।, लेखक आपने बारे में बताता है कि जब लेखक छोटे थे बदलू यानी उनके मामा जो उन्हें सबसे अच्छे लगते थे। वे उन्हें वह सुंदर-सुंदर लाख की गोलियाँ बनाकर खेलने के लिए देता था।, लेखक को अपने मामा के गाँव जाने की सबसे ज़्यादा ख़ुशी यही थी कि जब लेखक की छुट्टयाँ खत्म हो जाने के बाद वह अपने घर लौटते थे तो उनके पास बहुत सारी लाख की रंग बिरंगी गोलियाँ हुआ करती थीं। जो रंग-बिरंगी गोलियाँ जिन्हें देखकर बच्चों का मन उनकी तरफ आकर्षित हो जाए। इतनी सुंदर गोलियाँ उनके मामा बदलू बनाकर देते थे। ऐसी गोलियाँ दूसरों बच्चों के पास शायद नहीं हुआ करती थीं। उन काँचों के साथ खेलना लेखक को बहुत अच्छा लगता था। वो देखने में ही इतनी रंग-बिरंगी थी कि मन मोहित हो जाता था।, यह कहानी लेखक के बचपन की है। वह अपने मामा के घर जाता है और वहाँ पर जो बदलू मामा के द्वारा बनाई गई सुन्दर-सुन्दर लाख की गोलियाँ के साथ खेलता है, प्रसन्न होता है और उसे गाँव जाना तथा अपने मामा के गाँव जाना बहुत अच्छा लगता है क्योंकि जब वह वापस आता है तो उसके पास बहुत सारी ढे़र सारी काँच की गोलियाँ होती हैं जिसे वह अन्य बच्चों को दिखकर प्रसन्नता महसूस करता है।, वैसे तो मेरे मामा के गाँव का होने के कारण मुझे बदलू को ‘बदलू मामा’ कहना चाहिए था परंतु मैं उसे ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ कहा करता था जैसा कि गाँव के सभी बच्चे उसे कहा करते थे। बदलू का मकान कुछ ऊँचे पर बना था।, जैसा कि रिश्ते में होता है कि माँ के गाँव में रहने वाले जो व्यक्ति हैं या तो वह नाना हैं या मामा हैं, परन्तु लेखक बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ कहा करता था क्योंकि गाँव के अन्य बच्चे भी मामा को काका कहते थे । तो लेखक मामा न कहकर काका बुलाने लगे।, बदलू का मकान कुछ ऊँचे पर बना था। थोड़ी ऊंचाई पर बना था जहां पर वह जाते थे और उनके कार्य को देखते थे की वह किस तरह लाख की चूड़ियाँ बनाते हैं गोलियाँ बनाते हैं उनको काम करते हुए देखना लेखक को बहुत अच्छा लगता था।, मकान के सामने बडा़-सा सहन था जिसमें एक पुराना नीम का वृक्ष लगा था। उसी के नीचे बैठकर बदलू अपना काम किया करता था। बगल में भट्टी दहकती रहती जिसमें वह लाख पिघलाया करता।, जो बदलू मामा का मकान था वह थोड़ा ऊँचे पर था और मकान के सामने बड़ा-सा आँगन था जिसमें एक पुराना नीम का पेड़ था उसी के नीचे बैठकर बदलू अपना काम करते थे। उनके पास ही भट्ठी जलती रहती थी क्योंकि लाख को पिघलाकर उसे आकार दिया जाता था ।, जैसा कि तस्वीर में दर्शाया गया है कि एक तरफ भट्ठी है जहाँ पर लाख को पिघलाया जाता है और यहाँ पर एक औज़र है जिसके द्वारा वो लाख को आकार दे कर चूड़ियाँ बना रहें हैं। और साथ में उन्हें हुक्का पीने का भी बहुत शौक हुआ करता था। काम के साथ-साथ वह हुक्का भी पी लेते थे।, सामने एक लकड़ी की चौखट पड़ी रहती जिस पर लाख के मुलायम होने पर वह उसे सलाख के समान पतला करके चूड़ी का आकार देता। पास में चार-छह विभिन्न आकार की बेलननुमा मुँगेरियाँ रखी रहतीं जो आगे से कुछ पतली और पीछे से मोटी होतीं।, यहाँ पर यह बताया गया है कि बदूल मामा लाख की चूड़ियाँ किस तरह से बनाते थे । एक चौखट होती थी, लकड़ी का चौकोर टुकड़ा होता था जिसपर वह लाख को आग में सुलगा कर मुलायम कर देते थे और एक धातु की छड़ के समान पतला करके उसे चूड़ी का आकर दे देते थे।, पास में चार-छ अलग-अलग तरह की गोल-लकड़ी होती थी जिसकी सहायता से वह मोटी और पतली तरह की चूड़ियाँ बनाई जा सकती थी। उस समय में औरतें इसी प्रकार की चूड़ियाँ पहनना पंसद करती थी। इसी कारण से बदलू मामा चूड़ियाँ बनाया करते थे।, लाख की चूड़ी का आकार देकर वह उन्हें मुँगेरियों पर चढ़ाकर गोल अैर चिकना बनाता अैर तब एक-एक कर पूरे हाथ की चूड़ियाँ बना चुकने के पश्चात् वह उन पर रंग करता।, लाख की चूड़ी का आकार देने के बाद उन्हें रंग-बिरंगे रंग दे देता था। जिससे चूड़ियाँ दिखने में और सुंदर लगती थी।, सीधे शब्दों में कहा जाए तो जब चूड़ियाँ बनकर तैयार हो जाती थीं मुँगेरियों पर चढ़ाकर उन्हें गोल सुन्दर आकर दे दिया जाता था उसके बाद उन पर अलग-अलग तरह के रंग कर दिया जाता था जैसा कि औरतें रंग-बिरंगी चूड़ियाँ पहनना पसंद करती हैं।, यहाँ तस्वीर में आप देख रहें हैं गोल मुँगेरि है जिस पर एक लाल रंग की चूड़ी बनाई गयी है लाख के द्वारा।, बदलू यह कार्य सदा ही एक मचिये पर बैठकर किया करता था जो बहुत ही पुरानी थी। बगल में ही उसका हुक्का रखा रहता जिसे वह बीच-बीच में पीता रहता। गाँव में मेरा दोपहर का समय अधिकतर बदलू के पास बीतता। वह मुझे ‘लला’ कहा करता और मेरे पहुँचते ही मेरे लिए तुरंत एक मचिया मँगा देता।, बदलू हमेशा एक चारपाई पे काम किया करता था । उसकी चारपाई थी वह बहुत पुरानी थी; पुराने ज़माने में लोग इस तरह की चारपाई पर बैठा करते थे और अपने काम भी किया करते थे। जब वह काम से थोड़ी फुर्सत पाता, बीच-बीच में अपना हुक्का पी लिया करता था।, जब लेखक गाँव में मामा के घर जाते, तो उनका अधिकतर समय बदलू मामा के साथ बीतता। क्योंकि उनके पास बैठना, उन्हें काम करते देखना उन्हें अच्छा लगता था। वह उन्हें प्यार से लला कह कर पुकारते थे। और उनके पहुँचने पर चारपाई माँगवा देते थे। और कहा करते थे कि तुम यहाँ पर बैठो और देखो कि में किस तरह से काम करता हूँ।, मैं घंटों बैठे-बैठे उसे इस प्रकार चूड़ियाँ बनाते देखता रहता। लगभग रोज ही वह चार-छह जोड़े चूड़ियाँ बनाता। पूरा जोड़ा बना लेने पर वह उसे बेलन पर चढ़ाकर कुछ क्षण चुपचाप देखता रहता मानो वह बेलन न होकर किसी नव-वधू की कलाई हो।, घंटों बीत जाते, समय ज्यादा हो जाता लेकिन लेखक ऐसे ही बैठा रहता क्योंकि उनके काम करने का तरीका ही रोचक था । कभी वह लाख पिघलाते थे फिर मुँगेरि पर उस लाख को चढ़ाकर एक नया आकर दे देते थे। और रंग-बिरंगी चूड़ियाँ बनाते थे। इस तरह वह लगभग दिन में 4-6 जोडे़ चूड़ी बनाते थे। देखा जाए तो यह बहुत मेहनत भरा काम था।, पूरा जोड़ा तैयार हो जाने पर वह बेलन पर चढ़ा कर कुछ पल के लिए चुपचाप उसे देखते रहते थे । जब बदलू मामा अपने काम को देखते कि चूड़ी का सही आकर बना है या नहीं, तो प्रसन्न होते । मानो वह बेलन न होकर किसी नई दुल्हन की कलाई हो। अर्थात् छड पर चढ़ी चूड़ियों को इस तरह से निहारते थे जैसे कि किसी नई दुल्हन की कलाई हो।, बदलू मनिहार था। चूड़ियाँ बनाना उसका पैतृक पेशा था और वास्तव में वह बहुत ही सुंदर चूड़ियाँ बनाता था। उसकी बनाई हुई चूड़ियों की खपत भी बहुत थी।, जो चूड़ियाँ बनाता है उसे मनिहार कहा जाता है, जैसे बदलू मामा का काम था – चूड़ी बनाना। पैतृक यानि पिता सम्बन्धी अर्थात् जो बदलू मामा के पिता थे या दादा थे वह भी चूड़ियाँ ही बनाने का काम करते थे; यह उनका रोजी-रोटी कमाने का तरीका था। वह बहुत ही सुंदर-सुंदर चूड़ियाँ बनाता था। बदलू अपने काम में बहुत ही निपूंण था। उसके द्वारा बनाई गई चूड़ियों की बिक्री भी बहुत होती थी। लोग उससे बहुत सारी चूड़ियाँ खरीदते थे क्योंकि वह चूड़ियाँ बहुत ही मजबूत और सुंदर बनाता था।, उस गाँव में तो सभी स्त्रियाँ उसकी बनाई हुई चूड़ियाँ पहनती ही थी आस-पास के गाँवों के लोग भी उससे चूड़ियाँ ले जाते थे। परंतु वह कभी भी चूड़ियों को पैसों से बेचता न था। उसका अभी तक वस्तु-विनिमय का तरीका था और लोग अनाज के बदले उससे चूड़ियाँ ले जाते थे।, सभी स्त्रियाँ उसकी बनाई हुई चूड़ियाँ पहनती थी और आस-पास के गाँव के लोग भी उससे चूड़ियाँ ले जाते थे । उसका काम ही इतना अच्छा था कि उसके गाँव के अलावा दूसरे गाँव के लोग भी चूड़ियाँ खरीद कर ले जाते थे। परन्तु वह कभी भी चूड़ियाँ पैसों से नहीं बेचता था । उसका तो सीधा हिसाब था कि वस्तु के बदले वस्तु लेना अर्थात् जैसा कि पुराने समय में हुआ करता था कि अगर हमें अनाज लेना है तो उसके बदले हमारे पास जो भी चीज़ उपलब्ध है वो देकर हम अपनी मन पसंद चीज़ खरीद सकते थे। और लोग अनाज के बदले उससे चूड़ियाँ ले जाते थे। कहने का अर्थ यह है कि पैसों के बदले अनाज ले लिया जाता था।, बदलू स्वभाव से बहुत सीधा था। मैंने कभी भी उसे किसी से झगड़ते नहीं देखा। हाँ, शादी-विवाह के अवसरों पर वह अवश्य जिद़ पकड़ जाता था। जीवन भर चाहे कोई उससे मुफ्त चूड़ियाँ ले जाए परंतु विवाह के अवसर पर वह सारी कसर निकाल लेता था। आखिर सुहाग के जोड़े का महत्त्व ही और होता है।, बदलू का स्वभाव नम और भोला भाला था। न वह किसी से ज्यादा बात करता और न ही कभी किसी से लड़ता-झड़ता था। उसे ज़रा सा भी गुस्सा नहीं आता था सारा दिन अपने काम में जो लगा रहता था। हाँ शादी-विवाह के समय में अवश्य जिद् किया करता था। क्योंकि यही एक अवसर हुआ करता था जो कि वः अपनी चूड़ियाँ बेच कर अच्छा कमा सकता था। अर्थात् मनचाहा वेतन ले सकता था।, किसी भी विवाह के अवसर पर वह अपनी चूड़ियों की एक अच्छी खासी कीमत ले लेता था। जिससे उसका गुज़ारा ठीक से चल जाता था । आखिर सुहाग के जोड़े का महत्व ही कुछ खास होता है। यह एक महत्वपूर्ण चीज है कि सुहाग के जोड़े को बहुत ही पवित्र माना जाता है। इसीलिए उसको मुँह माँगे दाम मिल जाते थे।, मुझे याद है, मेरे मामा के यहाँ किसी लड़की के विवाह पर जरा-सी किसी बात पर बिगड़ गया था और फिर उसको मनाने में लोहे लग गए थे।, एक बार की बात है लेखक को याद आया कि बदलू मामा किसी लड़की के विवाह पर छोटी सी बात पर नाराज़ हो गया, बिगड़ गया। और उसे मनाना बहुत मुश्किल हो गया था।, विवाह में इसी जोड़े का मूल्य इतना बढ़ जाता था कि उसके लिए उसकी घरवाली को सारे वस्त्र मिलते, ढेरों अनाज मिलता, उसको अपने लिए पगड़ी मिलती और रुपये जो मिलते सो अलग।, विवाह में इसी जोड़े का मूल्य इतना बढ़ जाता था कि उसके लिए उसकी पत्नि को सारे वस्त्र मिलते, अर्थात् बदलू मामा की पत्नि को भी वस्त्र मिल जाते थे जब किसी का विवाह होता था । उस विवाह पर बदलू के द्वारा बनाई गई चूड़ियाँ इस्तेमाल कि जाती थी तो घर के सभी सदस्यों के लिए कुछ न कुछ भेंट स्वरूप मिल जाता था। बहुत सारा अनाज मिल जाता था जिससे घर का गुज़ारा अच्छे से हो जाता था । उसको अपने लिए पगड़ी मिल जाती थी, (पगड़ी का अर्थ है पग जो सिर पर बँधाते है ) और जो रूपये मिलते वो अलग से। कुछ लोग भेंट स्वरूप उसे रूपये दे देते थे जोकि एक अच्छा मौका था अच्छी खासी आमदनी कमाने का । उससे उसका पूरे साल का खर्चा चल जाता था।, यदि संसार में बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो वह थी काँच की चूड़ियाँ से। यदि किसी भी स्त्री के हाथों में उसे काँच की चूड़ियाँ दिख जातीं तो वह अंदर-ही-अंदर कुढ़ उठता और कभी-कभी तो दो-चार बातें भी सुना देता।, उसे काँच की चूड़ियाँ जरा सी भी पसन्द नहीं थी क्योंकि वह लाख की चूड़ियाँ बनाता था। काँच की चूड़ियाँ लोगों को पसंद आने लगी थी क्योंकि गाँव में भी शहरीकरण हो गया था। नए नए उद्योग शुरू हो गए थे मशीनों से चीज़ें बनाई जाने लगी थी। जोकि लोगों को पसंद आती थी। इस कारण उसका काम धंधा थोड़ा धीमा पड़ गया था और उसे काँच की चूड़ियाँ पसंद नहीं थी।, अगर वह किसी भी स्त्री के हाथों में काँच की चूड़ियाँ देख लेता तो मन ही मन दुखी हो जाता था। और कभी कभी तो दो चार बातें भी सुना देता।, मुझसे तो वह घंटों बातें किया करता। कभी मेरी पढा़ई के बारे में पूछता, कभी मेरे घर के बारे में और कभी यों ही शहर के जीवन के बारे में। मैं उससे कहता कि शहर में सब काँच की चूड़ियाँ पहनते हैं तो वह उत्तर देता, शहर की बात और है, लला! 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